ज़िंदगी में बबूल रक्खे गए और तुर्बत पे फूल रक्खे गए कोर-चश्मों से क्या गिला करना आइने ही फ़ुज़ूल रक्खे गए वो जिन्हें संगसार होना था उन के क़दमों में फूल रक्खे गए की गई इल्तिजा की फ़हमाइश बंद बाब-ए-क़ुबूल रक्खे गए मस्लहत ढूँडने लगे थे उसूल इस लिए कुछ उसूल रक्खे गए आइनों पर ख़राशें डाली गईं और चेहरे मलूल रक्खे गए मक़्ता होना था हो गया 'तारिक़' फ़े'ल फ़ेलुन फ़ऊल रक्खे गए