ज़िंदगी शाद नज़र आए कि नाशाद रहे सब गवारा है मगर दिल में तिरी याद रहे जौर-ए-सय्याद को लाए न कभी ख़ातिर में हम क़फ़स में भी रहे ऐसे कि आज़ाद रहे बे-नियाज़ाना बसर करते हैं दीवाने तिरे जो परस्तार-ए-तमन्ना हो वो बर्बाद रहे कुछ भी हो जाए मगर रब्त-ए-मोहब्बत न मिटे ये दुआ है कि तुम्हें फ़ुर्सत-ए-बेदार रहे जिस ने दीवाना बनाया है मुझे ऐ 'शाइर' हश्र तक शाद रहे हश्र तक आबाद रहे