ज़ीस्त के तजरबे की बातें हैं इश्क़ में सब पते की बातें हैं मेरी बर्बादियों के हैं क़िस्से और तिरे सोचने की बातें हैं जाने क्या क्या उतरता है दिल पर जाने किस किस समय की बातें हैं ख़ाल-ओ-ख़द सारा कुछ नहीं कहते इस में कुछ आइने की बातें हैं तुम चलोगे तो मैं बताउँगा एक दो रास्ते की बातें हैं मेरा नुक़सान है सरासर देख और तिरे फ़ाएदे की बातें हैं क्या कभी लौट कर भी आए लोग ये तिरे बचपने की बातें हैं हम ने कैसे किया तुझे रुख़्सत ये बड़े हौसले की बातें हैं 'यूसुफ़ी' से कभी मिले हो तुम उस की बातें मज़े की बातें हैं