ज़ुल्म-ए-चर्ख़-ए-कुहन की बात करो दर्द-ओ-रंज-ओ-मेहन की बात करो अक़्ल की गुफ़्तुगू में लुत्फ़ कहाँ कोई दीवाना-पन की बात करो कोई इल्ज़ाम न दो शीरीं को जुरअत-ए-कोहकन की बात करो मौसम-ए-गुल की आमद आमद है दामन-ओ-पैरहन की बात करो ज़िक्र-ए-दौर-ए-ख़िज़ाँ से क्या हासिल फ़स्ल-ए-गुल में चमन की बात करो रक़्स फ़रमाओ जाम छलकाओ हुस्न-ए-तौबा-शिकन की बात करो छेड़ दो ज़िक्र-ए-गेसू-ओ-रुख़सार किसी शो'ला-बदन की बात करो दूसरों की कहो न कुछ 'सालिक' आप अपने वतन की बात करो