हर सू है बहार-ए-माह-ए-अगस्त है दिल में क़रार-ए-माह-ए-अगस्त अपना है चमन अपना है वतन अपना है जहान-ए-आज़ादी है हाथों में आज़ादी का अलम है सब से जुदा अपना परचम आज़ाद है अब अपना मस्कन ऊँचा है निशान-ए-आज़ादी धरती को सजाएँगे हम सब गुलज़ार बनाएँगे हम सब हम सब को तरक़्क़ी की है लगन दिखलाएँगे शान-ए-आज़ादी इस देश की हर शय है प्यारी हर चीज़ यहाँ की है नियाज़ी कश्मीर हिमाला गंग-ओ-जमन करते हैं बयान-ए-आज़ादी बच्चे हैं मगर हिम्मत वाले हैं आज़ादी के रखवाले कर देंगे ज़माने को रौशन हम लोग हैं जान-ए-आज़ादी