आज By Nazm << नवा-ए-तल्ख़ किस शान से जीते थे यहाँ ख... >> कल की आरज़ू में हम आज से उलझ बैठे और फिर सुकूँ जैसे ख़्वाब हो परेशाँ सा आइए ज़रा साहिब इस से पहले यूँ कर लें आज को सँवारें हम कल की है ख़बर किस को Share on: