आज की बात By Nazm << ज़ख़्मी रात उर्दू >> शायद कल फिर याद न आए आज के सादा वरक़ पे लिख दें यूँ भी कल बासी होती है बारिश के पानी में चिड़िया अपने नन्हे पर धोती है देखने वालों की नज़रों में वो इक अच्छा सा मोती है लेकिन जाने क्या खोती है रात ढले जब घर लौटे तो देर तलक वो रोती है Share on: