कौन था किस ने पुकारा था मुझे कोई नहीं कोई नहीं बस वहम था वहम की आवाज़ ने चौंका दिया इस ज़मीं पर क्या कोई ऐसा नहीं जो मुझे आवाज़ दे इक ख़ला है और ख़ला के उस तरफ़ तीरगी ही तीरगी तीरगी की आँख में तिश्नगी ही तिश्नगी हाँ मगर इस तीरगी इस तिश्नगी इस ख़ला के उस तरफ़ कोई तो है