असरार बहुत हैं By Nazm << फिर वही शब के सराबों का च... रात की आँख में एक ख़ंजर उ... >> दीवार-ए-जुनूँ से लग कर रोना अपना ही नौहा दर-ओ-दीवार से कहना पागल-पन के आसार बहुत हैं कहते नहीं लेकिन तलबगार बहुत हैं यक़ीं मानो हम बीमार बहुत हैं तू है तो भी दिल के आज़ार बहुत हैं और दिल-ए-पेचीदा के असरार बहुत हैं Share on: