एज़रा-पउंड की मौत पर By श्रद्धांजलि, Nazm << इम्तिनाअ का महीना इक हर्फ़-ए-फ़सुर्दा दाग़ ... >> तुझ को किस फूल का कफ़न हम दें तू जुदा ऐसे मौसमों में हुआ जब दरख़्तों के हाथ ख़ाली हैं इंतिज़ार-ए-बहार भी करते दामन-ए-चाक से अगर अपने कोई पैमान फूल का होता आ तुझे तेरे सब्ज़ लफ़्ज़ों में दफ़्न कर दें कि तेरे फ़न जैसी दहर में कोई नौ-बहार नहीं Share on: