मासूम फ़रिश्ता-पैकर हैं हम बच्चे बड़ों से बेहतर हैं आपस में लड़ाई करते हैं फिर सुल्ह सफ़ाई करते हैं दुख पहुँचे किसी से हम को अगर मिलते हैं दोबारा फिर हंस कर कुछ हम को नहीं है ख़ौफ़-ओ-ख़तर रखते हैं भरोसा अल्लह पर दिल साफ़ हमारे मन सच्चे हम यकसाँ अंदर बाहर से मासूम फ़रिश्तों के जैसे क़ौमों की अमानत हम बच्चे हम मुस्तक़बिल के रहबर हैं हम बच्चे बड़ों से बेहतर हैं हों जिन में ख़साइल बच्चों के वो रुत्बे पाएँ वलियों के