ज़िंदगी नाम है तग़य्युर का गर तग़य्युर न हो तो ज़ीस्त मुहाल ज़र्रा ज़र्रा है इंक़लाब-पज़ीर यही फ़ितरत की आरज़ू का कमाल रोक ले रास्ता मशिय्यत का किस की ताक़त है और किस की मजाल एक गहरा सा रब्त क़ाएम है दरमियान-ए-रह-ए-फ़िराक़-ओ-विसाल लोग आते हैं लोग जाते हैं है यही अपनी ज़िंदगी का मआल जब तरक़्क़ी के मरहले हों तय मुल्क-ओ-मिल्लत का लाज़मी है ख़याल तन की पाकीज़गी भी अच्छी है मन की पाकीज़गी है हुस्न-ए-ख़िसाल मेहर-ओ-उल्फ़त का दर्स आम करें बाँटने सब में है ये आब-ए-ज़ुलाल बख़्श दें गर कोई करे तक़्सीर ये है इंसानियत का औज-ए-कमाल रास्ता हो ग़लत तो रुक जाओ न चलो चाल जो हो टेढ़ी चाल भूल कर भी न ऐसा काम करें जिस से हासिल हो रंज-ओ-हुज़्न-ओ-मलाल