हो सकता है इस मंज़र से धूप निकल कर छाँव पर क़ाबिज़ हो जाए सूरज की सत-रंगी किरनें धब्बों में बट जाएँ वक़्त का गिरगिट रंग बदल ले सारी बस्ती अपनी आँखें देवताओं को दान में दे कर सो जाएँ लेकिन बहलावे की पहली बारिश पड़ने दो हो सकता है पत्थर से ख़ुशबू फूटे और ख़ुशबू से अंगारे हो सकता है अंगारों में जल जल कर मिट्टी कुंदन हो जाए