ठण्ड खा कर ठिठुर गए पत्ते आँधियों में बिखर गए पत्ते पेड़ हर राह चलने वाले से पूछते हैं किधर गए पत्ते आए ले कर जुलूस आहों का सर झुकाए गुज़र गए पत्ते इतना सुनसान तो न था मंज़र जितना सुनसान कर गए पत्ते दिल की पगडंडियाँ उदास हैं आज कोई कहता है मर गए पत्ते