बुढ़िया का आख़िरी गीत By Nazm << दस से ऊपर सितम-गर >> लोग मिरे खोटे सिक्के जब गले में डाल कर इतराते हैं हँस देती हूँ हँसते हँसते आँखों में आँसू आते हैं Share on: