चलो हम मान लेते हैं न कोई राह निकलेगी कि बाहम मिल के बैठेंगे मगर क्या दिल से दिल तक रास्ता भी रोक सकते हो अभी मैं दिल-गिरफ़्ता हूँ अभी तुम आब-दीदा हो सुकूँ के चंद लम्हों में ज़रा ये ध्यान में रखना कि कोई राह में आँखें बिछाए अब भी तुम को याद करता है कोई अब भी तुम्हारी इक सदा पर लौट आने के लिए तय्यार बैठा है