चाँद और तारे सलामत कहकशाँ क़ाएम रहे ये ज़मीं क़ाएम रहे ये आसमाँ क़ाएम रहे या इलाही देश में अम्न-ओ-अमाँ क़ाएम रहे रक़्स-ए-हस्ती के लिए बज़्म-ए-जहाँ क़ाएम रहे हश्र तक क़ाएम रहे मेरा चमन मेरा वतन और इस की ये बहार-ए-जावेदाँ क़ाएम रहे या इलाही हश्र तक महकें मिरे गुलशन के फूल बुलबुलों का शाख़-ए-गुल पर आशियाँ क़ाएम रहे चाँद सूरज आसमाँ पर जब तलक रौशन रहें गुलशन-ए-हिन्दोस्ताँ जन्नत-निशाँ क़ाएम रहे कृष्न की बंसी बजे राधा रहे मधुबन रहे प्यार के नग़्मों में डूबी वादी-ए-गुलशन रहे