चुपके चुपके रोया जाए By Nazm << मुकाफ़ात दुनिया >> शाम बुझी सी पंछी चुप सीने के अंदर सन्नाटा और रूह में नग़्मे ग़म-आगीं दिल के सब ज़ख़्मों को अश्कों से धोया जाए कुछ लम्हों को चुपके चुपके रोया जाए Share on: