किस ने दरवाज़ा खटखटाया है जा के देखूँ तो कौन आया है कौन आया है मेरे द्वारे पर रात आई कहाँ बिचारे पर मेरे छप्पर से टेक कर कांधा कौन इस्तादा है थका-माँदा मेरी कुटिया में आओ सुस्ता लो ये मिरा साग़र-ए-शिकस्ता लो मेरी छागल से घोंट पानी पियो इक नए अज़्म की जवानी पियो टिमटिमाते दिए की झिलमिल में जोत सुलगा लो इक नई दिल में ये मिरे आँसुओं की शबनम लो पाँव के आबलों की मरहम लो ये मुझे इफ़्तिख़ार दो बैठो सर से गठड़ी उतार दो बैठो मेरे ज़ानू पर अपना सर रख कर ताक़ पर काहिश-ए-सफ़र रख कर नींद की अंजुमन में खो जाओ मंज़िलों के सपन में खो जाओ ख़्वाब वादी-ओ-कोहसार के ख़्वाब दश्त-ओ-दरिया-ओ-आबशार के ख़्वाब ख़्वाब अँधेरी तवील राहों के कुंज-ए-सहरा की ख़ेमा-गाहों के जहाँ इक शम्अ' अभी फ़रोज़ाँ है जहाँ इक दिल तपाँ है सोज़ाँ है तुम लिपट जाओ इन ख़यालों से और मैं खेलूँ तुम्हारे बालों से सुब्ह जब नूर का फ़ुसूँ बरसे सूनी पगडंडियों पे ख़ूँ बरसे बाग थामे हसीं इरादों की तुम ख़बर लो फिर अपने जादों की जब तलक ज़ीस्त का सफ़ीना बहे अजनबी अजनबी को याद रहे मुझ को ये अपनी याद दे जाओ आओ भी क्यूँ झिझकते हो आओ तुम कहाँ हो कहाँ जवाब तो दो ओ मिरे मेहमाँ जवाब तो दो तुम ने दरवाज़ा खटखटाया था किस की दस्तक थी कौन आया था नीम-शब क़ाफ़िले सितारों के तेज़ हरकारे अब्र-पारों के किस ने नींदों को मेरी टोका था कोई झोंका था कोई धोका था