हमारी दास्तान-ए-ग़म कहानी होती जाती है वही अफ़्सुर्दगी फिर जावेदानी होती जाती है वही तस्वीर-ए-दर्द-ओ-यास है फिर ज़िंदगी मेरी वही आह-ओ-फ़ुग़ाँ की मेहमानी होती जाती है वही मैं हूँ वही ख़ामोश आँसू हैं वही आहें बयाँ हर साँस में दिल की कहानी होती जाती है यूँही ख़ामोश आहें कह रही हैं दास्तान-ए-दिल यूँही राज़-ए-निहाँ की तर्जुमानी होती जाती है मिटा देगा निशाँ मेरा ये मेरा गिर्या-ए-पैहम ये फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ मेरी निशानी होती जाती है