हमें जो ज़िंदगी दी गई है बरा-ए-मेहरबानी दी गई है समाअ'त छीन कर अहल ख़िरद की हमें जादू बयानी दी गई है मुझे लिखने को इक अच्छा सा उनवाँ मिरी अपनी कहानी दी गई है जो राह-ए-हक़ में जाँ देते हैं उन को हयात-ए-जावेदानी दी गई है मगर जो मौत से डरते हैं उन को वफ़ात-ए-ना-गहानी दी गई है ज़ईफ़ी में जवानी दी गई है घड़ी इक इम्तिहानी दी गई है जवानों को जो तोहफ़े में मिली है हमें वो मुँह-ज़बानी दी गई है बदल दी है किसी ने शेरवानी नई ले कर पुरानी दी गई है जवानों को मुबारक हो जवानी हमें तो नौजवानी दी गई है लगाएँगे वो आग अब भाषणों से जिन्हें जादू-बयानी दी गई है दिवाना 'ख़्वाह-मख़ाह' बनता न कैसे निकाह में इक दिवानी दी गई है