दिल किसी वादी में जा के सो गया By Nazm << पास-ए-वफ़ा इबलाग़: बग़ैर लफ़्ज़ों के... >> चहकते रहे महकते रहे बरसों की दीवानगी का नतीजा न कोई सिला क्यों इंतिज़ार-ए-बहार करते रहे काँटों को प्यार करते रहे यहाँ तक कि सुकूत तारी हो गया दिल किसी वादी में जा के सो गया Share on: