दिल-दही By Nazm << भालू वाला मोहब्बत >> शाम की ज़ौ हर तरफ़ साहिल पे हल्का सा अँधेरा अब्र का दूर उफ़ुक़ पर इक उदासी का मुहीत डूबी डूबी महव सी नमनाक आँखें दर्द-ए-फ़ुर्क़त से हज़ीं रोया हुआ दिल और समुंदर नर्म लहरों के मुलाएम हाथ से तिफ़्ल को दे रहा है हौले हौले थपकियाँ Share on: