दीवाने दिल किस सोच में है दीवाने दिल किन उम्मीदों पर जीता है हर रात अँधेरे लाती है हर रात अँधेरे लाएगी और उम्र बसर हो जाएगी उम्मीदों के इन मौज मौज दरियाओं में दरियाओं की गहराई में क्या तेरे लिए है एक अज़िय्यत जीने की क्या हासिल है इन मौज मौज दरियाओं को देखते रहने का और प्यासे और दीवाने दिल हर आने वाली सुब्ह के चेहरे पर जो पत्ता गिरता है इस भरे जहान में तन्हा रह जाते लम्हों के समुंदर में बह जाने की इक अमर हक़ीक़त छोड़ता है उड़ जाता है इन उमडे हुए ख़यालों के तूफ़ानों में जो चीज़ मुझे जीने की ताक़त देती है इक आहिस्ता आहिस्ता सी आवाज़ तुझे बस जीना है मर जाने से कुछ दिन पहले तक जीना है दीवाने दिल