दोस्त By Nazm << नीम पागल दरख़्त >> मुर्दा सन्नाटों और घुप अँधेरों को चीर कर ले चला एक हाथ मुझे ख़ुद ही से मिलाने देख कर उस के यक़ीन पर अपना यक़ीन लगता है मेरा कोई दोस्त ही रहा होगा Share on: