ऐ अज़ल से.... By Nazm << शाइ'र की दुनिया दम-ए-वापसीं >> ऐ अज़ल से ता-अबद साहिब-फ़रोग़ ऐ जमाल-ए-बे-हिजाब ऊन कोहरे से धूप से ज़र-बफ़त और रेशम चाँदनी से बार-हा लेने को मैं ने ले लिया लफ़्ज़ सुर रंगों का पैराहन मगर फिर भी न मुझ से सिल सका तू तअय्युन की हदों में क्यूँ न मुझ को मिल सका Share on: