लो फिर हमारी ईद आ गई है हर एक ख़ुश है घर घर ख़ुशी है क्या क़हक़हे हैं क्या दिल-लगी है हर सम्त गोया शादी रची है मुन्नी उठेगी तड़के सवेरे झट-पट नहा कर पहनेगी कपड़े कपड़े भी कैसे गोटे ज़री के रेशम का जंपर मख़मल के जूते पहनेगी मुन्नी ज़ेवर भी अपने ज़ेवर जो उस के अब्बा हैं लाए हाथों में कंगन पाँव में लच्छे माथे पे टपका कानों में झुमके अम्मी से ले कर ईदी के पैसे भय्या को देगी कह कर ये उन से पढ़ कर दोगाना मेले में जा के मेरे लिए भी लाना खिलौने चीनी की गुड़ियाँ चीनी के गुड्डे गुड़ियों के बर्तन गुड़ियों के गहने भय्या भी जल्दी जाएँगे घर से कपड़े बदल कर तकबीर पढ़ते वाजिब दोगाना मिल कर पढ़ेंगे ख़ुत्बा सुनेंगे ख़ामोश बैठे कर के दुआएँ बाहम मिलेंगे उल्फ़त के ग़ुंचे दिल में खिलेंगे आएँगे फिर कर जब ईद-गाह से ले कर मिठाई ले कर खिलौने भाई बहन सब खेलेंगे मिल के गुज़रेगा दिन फिर लुत्फ़-ओ-ख़ुशी से 'नय्यर' मुबारक ये ईद सब को हो इस ख़ुशी की फिर दीद सब को