पूछो मुझ से ही ईद मुफ़्लिस की मैं ने देखी है ईद मुफ़्लिस की ले के हमराह क़ाफ़िले ग़म के आ के पहुँची है ईद मुफ़्लिस की ईद के दिन भी घर में सन्नाटा जैसे सोई है ईद मुफ़्लिस की किस ने सोचा है एक लम्हा भी कैसे होती है ईद मुफ़्लिस की ईद के दिन भी दिल रहा मग़्मूम जब से देखी है ईद मुफ़्लिस की यूँ तो रक़्साँ थीं चार-सू ख़ुशियाँ रोते गुज़री है ईद मुफ़्लिस की बच्चे पहने हैं माँग कर कपड़े जब भी आती है ईद मुफ़्लिस की मुझ से पूछो 'वक़ार' कैसी थी मैं ने देखी है ईद मुफ़्लिस के