ख़ुलूस दिल में लिए कारवाँ के साथ चलो मुसाफ़िरो चलो अज़्म-ए-गराँ के साथ चलो ज़माना साथ चले अंजुमन भी साथ चले बहार चूमे क़दम बाँकपन भी साथ चले वो अज़्म हो कि जिसे ज़िंदगी सलाम करे क़दम क़दम पे सुकूँ जश्न-ए-एहतिमाम करे वतन की लाज बनो क़ौम का निखार बनो हर एक दिल के लिए हुस्न-ए-ए'तिबार बनो भुला दो फ़िरक़ा-परस्ती की दास्तानों को मिटा दो बढ़ के तअ'स्सुब भरे जहानों को क़सम वतन की तुम्हें एकता के गुन गाओ दिलों में अज़्मत-ए-क़ौम-ओ-वतन को चमकाओ क़दम के साथ अगर दिल मिलें तो बात बने जहाँ भी चाहो वहीं मंज़िल-ए-हयात बने हो एक दिल ज़रा आवाज़ भी मिला के चलो चलो तो राह-ए-हवादिस में मुस्कुरा के चलो