ख़ुशनुमा है हयात फूलों की देखना काएनात फूलों की जूही चम्पा चमेली और गुलाब नाम बच्चों के ज़ात फूलों की तितलियों की तरह सजल नाज़ुक उन की हर बात बात फूलों की ये नहीं जानते कि ग़म क्या है दिन है फूलों का रात फूलों की वो जो पढ़ते हैं और लिखते हैं और करते हैं बात फूलों की लहलहाता चमन हुजूम-ए-बहार मुस्कुराती है ज़ात फूलों की इल्म की रौशनी के दीप जलें महकी महकी है रात फूलों की नज़्र-ए-‘मख़दूम’ है ग़ज़ल बच्चो शख़्सियत थी हयात फूलों की फूल की तरह मदरसों में 'वक़ार' सज रही है बरात फूलों की