हवा का रुख़ जो बदल गया है By Nazm << किस शान से जीते थे यहाँ ख... एक मंज़र >> वो जिस हवा ने छुआ था इस को उसी में मैं ने भी साँस ली थी वो ज़िंदगी थी वो शाइ'री थी हवा का रुख़ जो बदल गया है तो ये हुआ है न ज़िंदगी है न शाइ'री है Share on: