हर एक फूल हुआ रंग-बार होली में हर एक शाख़ है सूरत-निगार होली में गुलों से मौज-ए-शफ़क़ रंग खेलने आई अजब है अर्ज़-ओ-समा पर बहार होली में वो सुर्ख़-पोश गुलिस्ताँ में रंग खेला है गुल-ओ-समन पे है तुर्फ़ा निखार होली में हर एक चीज़ से रंग-ए-वफ़ा टपकता है शहीद-ए-इश्क़ की है यादगार होली में कुछ इस तरह से हुई गुल पे शबनम-अफ़्शानी क़बा-ए-गुल है जवाहर-निगार होली में जिधर निगाह उठी सुर्ख़ियाँ नज़र आईं हर एक शय है फ़साना-निगार होली में है काएनात में जोश-ए-नुमू की जुम्बिश से हर एक ज़र्रे का दिल बे-क़रार होली में क़दम के नीचे है फ़र्श-ए-ज़मुर्रदीं 'रा'ना' है सर पे साया-ए-अब्र-ए-बहार होली में