कल जब मैं नहीं रहूँगा रहेंगी मेरी नज़्में तुम्हारे आस-पास ही मेरा एहसास दिलाती हुईं तुम से बोलती बतियाती हुईं मेरी याद में जब भी धड़केगा तुम्हारा दिल धड़क उठेंगी मेरी नज़्में जब भी तुम्हारी साँस का कोई लम्हा पूछेगा मेरी नज़्मों को खिल उठेंगी मेरी नज़्में महक महक उठेंगी मेरी नज़्में जब कभी तुम लौटोगी घर थकी हुई मिल जाएँगी मेरी नज़्में तुम्हें तुम्हारे तकिए के पास और थामेंगी तुम्हारी बाँहों को वैसे ही जैसे थामता हूँ मैं तुम्हारी बाँहें हर रात जब भी होगी तेज़ बारिश तान लेना मेरी नज़्मों को छतरी बन तुम्हारी हिफ़ाज़त करेंगी मेरी नज़्में किसी सर्द कोहरे भरी रात में जब काँपेंगी तुम्हारी देह ओढ़ लेना मेरी नज़्मों को दोशाले की तरह जो देंगी तुम्हें वही गर्मी ताज़गी और वही प्यार