आज तो कुछ प्यार के बीमार का भी ज़िक्र हो कब तलक बैठेंगे यूँ ही फूल मुरझाए हुए कब तलक बाद-ए-सबा ज़िंदान-ए-शब में क़ैद हो कब तलक दहकेंगे शो'ले हिज्र के गुलज़ार में कब तलक उर्यां रहेंगे ये शजर गुल सब सफ़-ब-सफ़ कब तलक रोएगी शबनम कब तलक हाँ कब तलक आज तो कुछ प्यार के बीमार का भी ज़िक्र हो