हुस्न की हम ने हक़ीक़त देख ली इश्क़ की हम ने मुसीबत देख ली ज़ाहिदों की हम ने संगत देख ली और रिंदों की भी सोहबत देख ली है ज़माने में मोहब्बत नाम को इस ज़माने की मोहब्बत देख ली जिस वफ़ा पर हम को इतना नाज़ था उस वफ़ा की हम ने क़ीमत देख ली एक आलम में है हंगामों का शोर हम ने दुनिया में क़यामत देख ली हक़ को भी धोका दुआओं ने दिया हक़ ने बंदों की इबादत देख ली तेरे शे'रों को जो देखा ऐ 'पुरी' दर्द-ए-दिल की उन में हसरत देख ली