इश्क़ अब मेल से बे-मेल हुआ जाता है मेरा ग़म उन के लिए खेल हुआ जाता है मश्ग़ला अश्क-फ़िशानी का था पहले भी मगर अब तो ये शग़्ल धका-पेल हुआ जाता है हुस्न और इश्क़ का झगड़ा भी कोई झगड़ा है वो लड़ाई हुई ये मेल हुआ जाता है हुस्न यूँ ख़ुश है कि है तीसरे बच्चे का नुज़ूल इश्क़ यूँ ख़ुश है कि पचमेल हुआ जाता है गुँध के फूलों में तिरे सर्व से क़द पर गेसू ख़ुशनुमा फूली-फली बेल हुआ जाता है हुक्म बेगम के चला करते हैं जेलर की तरह अब मिरा घर भी मुझे जेल हुआ जाता है इस क़दर सर्फ़ इलाही मिरे ख़ून-ए-दिल का अब मोहब्बत का बजट फ़ेल हुआ जाता है कहीं बुझ सकता है 'माचिस' ये मोहब्बत का चराग़ जिस्म का ख़ून ही जब तेल हुआ जाता है