बच्चा लालटैन की रौशनी में पढ़ रहा है बूढ़ा अपनी दुआएँ बाँट रहा है मुझे तुम्हारे इल्ज़ाम पर अपनी सफ़ाई पेश करना है कोई कहता है अल्फ़ाज़ मेरी गिरफ़्त से बाहर हैं सोच मेरी गिरफ़्त से बाहर है दिल मेरी गिरफ़्त से बाहर है कोई कहता है मेरी निगाहें दीवानी मालूम होती हैं अपनी सफ़ाई पेश करना मेरे बस से बाहर है मुझ पर गहरे समुंदर में तैरने का इल्ज़ाम है मुझ पर घने जंगल में रास्ता ढूँडने का इल्ज़ाम है मुझ पर कड़ी धूप में जान देने का इल्ज़ाम है बच्चा आज का सबक़ पढ़ चुका है बूढ़ा अपनी दुआएँ बाँट चुका है तुम इल्ज़ाम लगा कर किस इंतिज़ार में हो बच्चे की लालटैन बुझाई नहीं जा सकती बूढ़े की दुआएँ चुराई नहीं जा सकतीं मैं अपने अल्फ़ाज़ अपनी जान के एवज़ बेच नहीं सकती