ज़ब्ह By Nazm << ज़िद याद-गोई >> इन दिनों खुल कर कोई नहीं हँसता कोई नहीं रोता खुल कर हँसना छुपा होता है रोने में रोना छुपा होता है हँसने में ऐसा मुझे नौटंकी के उस मस्ख़रे ने बताया जो इन दिनों गाँव के बाज़ार में मुर्ग़े काटा करता है Share on: