ज़िंदगी या तवाइफ़ By Nazm << कभी कभी पहाड़ों के बेटे >> मुतमइन कोई नहीं है इस से कोई बरहम है तो ख़ाइफ़ कोई नहीं करती ये किसी से भी वफ़ा ज़िंदगी है कि तवाइफ़ कोई Share on: