रंगों में वो बात नहीं है और हुनर भी आजिज़ है कौन बनाएगा तस्वीरें जब आँखों में ख़्वाब नहीं अश्कों में वो ज़ोर नहीं है दिल में वैसी ताब नहीं कब से रस्ता देख रहे हैं देखने वाले हसरत से एक मुसव्विर आएगा जो दर्द के रंग जगाएगा इन ख़्वाबीदा रंगों में वो दिल का नूर मिलाएगा फिर तस्वीरें बोलेंगी और दाद हुनर की पाएँगी या फिर ऐब की तोहमत ले कर बे-क़ीमत बिक जाएँगी