सुनो तुम लिख के दे दो ना कहानी में कहाँ सच है कहाँ पे रुक के तुम ने ग़ालिबन कुछ झूट लिखना है कहाँ ऐसा कोई इक मोड़ आना है जहाँ चालान मुमकिन है कहाँ वो बेश-क़ीमत सा सुनहरी छोटा सा डिब्बा जो अपनी धड़कनों से अपने होने की गवाही दे रहा है टूट जाना है कहाँ क़ारी को समझाना है दुख के इस अलाव में झुलसती सी कहानी रोक देना ही ज़रूरी है सफ़र में रुक के सब को अलविदा'अ कहने का लम्हा लाज़मी है कहाँ तारीख़ लिख के इस क़लम को जेब में रखना ज़रूरी हो गया है सुनो तुम ये बताओ ना तुम्हारी तिलस्माती सी कहानी में कोई किरदार तो होगा जो ज़िम्मेदार होगा कहाँ पर मरकज़ी किरदार ने दुख दर्द सीने में छुपाना है फ़लक को बद-गुमाँ कर के ज़मीं को आसमाँ होता दिखाना है नदामत और मलामत साथ रखनी है हर इक साअ'त के सारे दुख उठाने हैं निभाने हैं बताना है मोहब्बत ज़िंदगी का इस्तिआ'रा है मोहब्बत रात का पहला सितारा है या दुख का आख़िरी कोई किनारा है