क़लम दवात By Nazm << लीडर से ख़िताब शरारती चाँद >> शजर से कट के जो बे-जान हो गई थी शाख़ क़लम बनी तो वो दोबारा हो गई ज़िंदा शब-ए-सियह से ज़ियादा सियह स्याही से तमाम आलम-ए-तारीक हो गया रौशन Share on: