हमारे करमों का फल हमारे सामने है भाई नेकी करना पाप है तुम ने नहीं सुना कि ये अगले वक़्तों की बात है तुम को दुनिया में रहने का ढब कब आएगा जंगली सारे नाते ख़ुशबुओं की तरह नहीं होते इन में दलदलों की बिसांद भी होती है मुआ'फ़ करना या मुआ'फ़ी माँगना कोई अच्छा फ़े'ल नहीं है मुआ'फ़ी भला किस किस बात की उम्र सारी गुज़र जाएगी और एक बात की तलाफ़ी भी न हो पाएगी फिर तेज़ रफ़्तार दुनिया में किस किस का दामन पकड़ोगे दामन तो ख़ुद हवा हो गया है फिर हवा को मुट्ठी में बंद करो नहीं बकवास तुम सीधी-सादी ज़िंदगी गुज़ारो उम्मीद को काली सैंडिल से इतना मारो कि सुर्ख़ चाँदनी काली सियाह रात की तरह हमारे दुखों को अपने दामन में समेट ले