दिल डूब गया सन्नाटे में आवाज़ के क़ातिल लम्हों ने हर आँख में दहशत भर दी है दिल दर्द के नश्तर सहता है और ख़ुद से अक्सर कहता है इज़हार का पुल ही टूट गया अब दर्द-गुसारी मुश्किल है उस पार न पहुँचे बात मिरी इस पार न दुनिया वालों की आवाज़ का मातम कौन करे लफ़्ज़ों से ही यारी टूट गई