जो कुछ देखो वो न कहो ख़ामोश रहो सोचो लेकिन लब सी लो ख़ामोश रहो ख़ुद्दारी का ख़ून करो ख़ामोश रहो आगाही का कर्ब सहो ख़ामोश रहो तुम हो मोहज़्ज़ब क्यूँ करते हो शोर-ओ-ग़ुल चैन से अपने घर बैठो ख़ामोश रहो हर लफ़ड़े से भागो जितना भाग सको हर झगड़े से दूर रहो ख़ामोश रहो आग लगे इंसान मरें या शहर लुटे तुम न कुढ़ो तुम मत बोलो ख़ामोश रहो ए'ज़ाज़ अपना तुम ने क्यूँ लौटाया है आग पराई में न जलो ख़ामोश रहो सच का साथी इस धरती पर कोई नहीं तन्हा हो सोचो समझो ख़ामोश रहो बहुतेरे हैं हक़-गोई के दा'वेदार तुम ही क्यूँ मंसूर बनो ख़ामोश रहो मेरे भाई वक़्त बुरा है चुप बैठो 'नाज़िश' को भी समझाओ ख़ामोश रहो