बच्चो इक दिन नबी हमारे मए सहाबा सफ़र को निकले वक़्त पकाने का जब आया सभों ने अपना हाथ बढ़ाया ज़ब्ह किसी ने कर ली बकरी किसी ने फ़ौरन खाल निकाली इक इक काम किया हर इक ने काम हुए यूँ पूरे सारे मगर रहा लकड़ी का लाना आप ने चाहा जंगल जाना आप को हर साथी ने रोका किसी का लेकिन कहा न माना और जंगल को आप सिधारे लाए उठा कर नबी हमारे देख के अख़्लाक़ उन के प्यारे ख़ुश हुए साथी आप के सारे 'जौहर' तुम भी याद ये रखो यकसाँ समझो हर इंसाँ को