ख़ुदा देखता है मिरे काम को वो सुनता है कहता हूँ मैं बात जो ख़ुदा हर जगह है मुझे देखता मिरे दिल की बातें है वो जानता मैं हूँ खेल में या मदरसे में हूँ रहूँ अपने घर में कि रस्ते में हूँ मैं सोता हुआ हूँ कि हूँ जागता अकेला मुझे वो नहीं छोड़ता वो नज़दीक मेरे है रहता सदा कोई वक़्त हो सुब्ह या शाम का चमकता वही है अँधेरे में भी नहीं दूर रहता है मुझ से कभी वो दुनिया में मौजूद है हर कहीं ख़ुदा से जगह कोई ख़ाली नहीं ख़ुदा की नज़र है मोहब्बत भरी वो है आसमाँ से मुझे देखती ख़ुदा तू मुझे अच्छा लड़का बना हर इक काम मुझ से तू अच्छा करा