खोज By Nazm << मुलाक़ात दाग़ और धुआँ >> प्यासी आँखें अंग टटोलें राह न पाएँ थक जाएँ हर काविश का हासिल जैसे चंद नशेब और चंद फ़राज़ अंधी आँखें खोज न पाईं कैसे मची है रोम रोम में गर्म लहू की हाहा-कार Share on: