तुम्हारे हाथ की नर्मी तुम्हारे जिस्म की आँच तुम्हारे क़ुर्ब की सय्याल चाँदनी की फुवार बरस रही है मुलाक़ात की घटाओं से तुम्हारा हाथ मिरे हाथ में है लेकिन हम यहाँ से दूर बहुत दूर हैं जहाँ मुझ को तुम्हारी कोई ख़बर है तुम्हें न मेरा पता हमारे बीच में हाइल है लम्स का सहरा तुम अपना हाथ छुड़ा लो कि हम क़रीब आ जाएँ