किताबों का रसिया By Nazm << नाम दो तस्वीरें >> किताबों का रसिया वो इक शख़्स जो चुप की चादर लपेटे बहुत दिल-गिरफ़्ता यहाँ घूमता है उसे मेरी जानिब से इतना बता दो किताबों में लफ़्ज़ों की जादूगरी के सिवा कुछ नहीं है किताबें जला दो Share on: